जुब्बल-कोटखाई उपचुनाव: क्या बरागटा के लिए लक्की साबित होगा ‘सेब’ चुनाव निशान

 


शिमला. अंधा क्या चाहे दो आंखें…हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में उपचुनाव को लेकर यह बात चरितार्थ हो रही है. भाजपा से निष्कासित बागी चेतन बरागटा ने नामांकन वापस नहीं लिया है और अब उन्हें सेब चुनाव चिन्ह मिला है. दरअसल, हिमाचल का कोटखाई, रोहड़ू और जुब्बल इलाका सेब के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर 2 हजार करोड़ रुपये की सेब आर्थिकी है. 

ऐसे में सेब चेतन बरागटा के लिए लक्की चार्म हो सकता है. वैसे भी उनसे जब भी चुनावी मुद्दों को लेकर बात होती है तो वह कहते हैं कि सेब ही उनका मुद्दा है और अब तो चुनाव चिन्ह सेब मिलने से ‘सोने पर सुहागा’ हो गया है. बुधवार को नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन चेतन बरागटा ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया और पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. बाद में चेतन ने एक वीडियो के जरिये संदेश जारी किया और कहा कि उन्हें सेब चुनाव चिन्ह मिला है

उन्होंने लोगों से वोट डालने की भी अपील की. बता दें कि बरागटा को भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले काफी जनसमर्थन मिल रहा है. वह पहली बार आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं और बीते कुछ माह पहले ही उनके पिता और पूर्व विधायक नरेंद्र बरागटा की मौत हुई है. ऐसे में लोगों की सहानूभूति उनके साथ है. पिता रहे थे बागवानी मंत्री बता दें कि चेतन बरागटा के पिता नरेंद्र बरागटा यहां से दो बार विधायक रहे हैं. 

कांग्रेस की परमपरागत सीट से उन्होंने 2007 में सेंध लगाई थी और वह बागवानी मंत्री रहे थे. नरेंद्र बरागटा पूर्व सीएम धूमल के काफी करीबी रहे हैं. उन्हें सेब बेल्ट की बेहतरी के लिए काम करने के लिए जाना जाता है. वही, सेब को बचाने के लिए एंटी हेल नेट यहां लेकर आए थे

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