कोरोना योद्धाओं के लिए केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, दो लाख तक जुर्माना भी


नई दिल्ली - कोरोना वायरस महामारी के दौरान देश में डाक्टरों और नर्सों पर हमले को देखते हुए केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा के लिए एक अध्यादेश लाई है। नरेंद्र मोदी कैबिनेट की बैठक में बुधवार को 123 साल पुराने कानून में बदलाव करने का फैसला किया गया और हेल्थकर्मियों के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया गया। इस अध्यादेश के तहत डाक्टरों और अन्य हेल्थकर्मियों पर हमला करने वालों को अधिकतम सात साल तक की सजा हो सकती है।

कैबिनेट की बैठक के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार डाक्टरों और नर्सों पर हमला बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हेल्थकर्मियों पर हमला करने वालों पर 50 हजार से दो लाख के जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा तीन महीने से पांच साल की सजा भी हो सकती है, जबकि गंभीर चोट के मामले में अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है और जुर्माना डबल किया जा सकता है। गाड़ी या क्लीनिक का नुकसान करने पर बाजार रेट से दोगुना नुकसान हमलावारों से वसूल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थयकर्मियों पर हमला गैरजमानती होगा।

जावड़ेकर ने बताया कि बुधवार सुबह की गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन ने मेडिकलकर्मियों से वीडियो कान्फें्रसिंग के जरिए बात की थी। डाक्टरों ने मांग की थी कोरोना काल में उनकी सुरक्षा के लिए सरकार कानून लाए। गृह मंत्री ने उन्हें भरोसा दिया था कि डाक्टरों और नर्सों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। जावड़ेकर ने साथ ही बताया कि सरकार ने कोरोना संकट से निपटने के लिए अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि देश में कोविड-19 के 723 अस्पताल बने हैं।

इसके अलावा एक लाख 86 हजार आइसोलेशन बेड तैयार हैं। 24 हजार प्ब्न् और 12190 वेंटिलेटर तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना का पहला मरीज मिलने के तीन महीने के भीतर इन सेवाओं का विस्तार किया गया है। जहां तक पीपीई की बात है, पहले हमारे पास एक भी फैसिलिटी नहीं थी। अब 77 घरेलू कंपनियां पीपीई बना रही हैं। एक करोड़ 88 लाख पीपीई का ऑर्डर है। 25 लाख एन-95 मास्क उपलब्ध हैं और अढाई करोड़ का ऑर्डर दिया गया है।

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