6 बार CM, 9 बार विधायक और 5 बार सांसद रहे वीरभद्र सिंह

 

शिमला. हिमाचल प्रदेश की सियासत की बात हो और वीरभद्र सिंह का नाम न आए, ऐसा संभव ही नहीं है. उन्हें सूबे में जननेता के तौर पर जाना जाता है. बता दें कि वीरभद्र सिंह 25 साल की उम्र में सांसद बने थे. वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला जिले के रामपुर के सराहन में हुआ था और आठ जुलाई 2021 को उनका निधन हो गया है. 

उनके पिता का नाम राजा पदम सिंह था. उनकी शुरुआती पढ़ाई शिमला के बिशप कॉटन स्कूल (बीसीएस) शिमला से ही हुई. बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से बीए ऑनर्स की पढ़ाई की. वीरभद्र सिंह अपने राजनीतिक करियर में केवल एक ही बार चुनाव हारे हैं. देश में आपातकाल के बाद 1977 में जब कांग्रेस का देश से सफाया हो गया था, इसी दौरान वीरभद्र सिंह भी चुनाव हारे थे. वीरभद्र सिंह का संबंध राजघराने से है. वह बुशहर रियासत के राजा रहे हैं. 

केंद्रीय राजनीति में वीरभद्र का सफर वीरभद्र सिंह ने पहली बार सन 1962 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. इसके बाद 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हें जीत नसीब हुई. 1980 में सीएम वीरभद्र सिंह ने फिर चुनावी ताल ठोकी और सांसद चुने गए. उन्हें इस दौरान राज्य मंत्री उद्योग मंत्री का प्रभार मिला था. इसके बाद वीरभद्र सिंह ने प्रदेश राजनीति की ओर रुख किया. 

हालांकि, 2009 में वह एक बार फिर मंडी संसदीय सीट से सांसद चुने गए. इससे पहले, जब 2004 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी, तो इसी सीट से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई थीं. केंद्र में दो बार रहे मंत्री 1976 और 1977 के बीच, वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के लिए उपमंत्री का राष्ट्रीय कार्यालय भी संभाला था. वह 1980 से 1983 के बीच उद्योग मंत्री रहे.

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