पंजाब के 150 वाहनों का फर्जी दस्तावेजों के सहारे हिमाचल में करवाया गया पंजीकरण, अप्रैल से बंद गाडि़यां भी करवा लीं पास
एसडीएम कार्यालय इंदौरा में फर्जी डाक्युमेंट्स के सहारे गाडि़यों की रजिस्ट्रेशन का चौंका देने वाला मामला सामने आया है। ये गाडि़यां पंजाब के लोगों की हैं, लेकिन फर्जी डाक्युमेंट्स के सहारे इनकी रजिस्ट्रेशन हिमाचल में करवाई गई है। दरअसल पंजाब में गाडि़यों की रजिस्ट्रेशन फीस नौ फीसदी है, जबकि हिमाचल में तीन फीसदी। इस छह फीसदी के फायदे के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन का यह गैरकानूनी धंधा चल रहा था।
इसके अलावा भारत स्टेज 4 गाडि़यां, जो कि न्यायालय द्वारा अप्रैल 2020 को बंद कर दी गई थीं, की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए भी लोगों ने जाली कागजातों का सहारा लिया है। इनमें ज्यादातर रजिस्ट्रेशन अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2020 के बीच की गई हैं। इस मामले में एजेंटों और एसडीएम ऑफिस के कुछ कर्मियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इंदौरा के एसडीएम सोमिल गौतम ने कहा कि प्रारंभिक जांच के दौरान यह पाया गया कि लगभग 150 के करीब गाडि़यों की रजिस्ट्रेशन फर्जी पाई गई है।
उन गाडि़यों के मालिकों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। मोटर व्हीकल कानून के तहत अगर ये सभी लोग नोटिस में तय सीमा से पहले जवाब नहीं देते हैं, तो इन सभी गाडि़यों की रजिस्ट्रेशन रद्द कर दी जाएगी और इस फर्जीबाड़े में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इन सभी पर धारा 55 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी, जिसकी सूची तैयार करके थाना इंदौरा में भेजी जा रही है। तत्काल प्रभाव से कार्यालय के लेखाअधिकारी को बदल दिया गया है व उसकी जगह नए लेखा अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
उन्होंने कहा कि अभी तक हमने पिछले कुछ महीनों का रिकार्ड चैक किया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि कुछ महीनों के रिकार्ड की जांच में ही 150 गाडि़यों की रजिस्ट्रेशन फर्जी निकली है, तो यदि इस कार्यालय में पंजीकृत सभी गाडि़यों की जांच की जाए, तो संभव है कि ऐसी गाडि़यों की संख्या बहुत अधिक हो सकती है। इससे पहले भी इंदौरा का एसडीएम कार्यालय सुर्खियों में रहा है, परंतु सोचने का विषय तो यह है कि सब कुछ ऑनलाइन होने के बावजूद इतना बड़ा घोटाला निकलना इस कार्यालय में काम कर रहे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
अगर इस कार्यालय की बारीकी से जांच की जाए, तो इस घोटाले में विभाग के बहुत से अधिकारी संलिप्त पाए जा सकते हैं। इस विषय पर जिलाधीश कांगड़ा राकेश प्रजापति से फोन पर बात करने की कोशिश की गई, हालांकि उनसे संपर्क नहीं हो पाया। (एचडीएम)
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