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आलू की खूब पैदावार कारखाने की दरकार, 2010 के बाद से हर साल करीब दो लाख मीट्रिक टन प्रोडक्शन

 

प्रदेश में सालाना हजारों टन आलू पैदा किए जाने के बावजूद किसान एक अदद बड़े उद्योग की राह ताक रहे हैं। प्रदेश के आलू की डिमांड चिप्स उद्योग में रहती है, लेकिन आलू आधारित बड़े उद्योग की कमी से आलू उत्पादक अच्छे दामों से वंचित रह जाते हैं। 2010 के बाद से प्रदेश में सालाना करीब दो लाख मीट्रिक टन आलू पैदा किया जा रहा है और 2019-20 में प्रदेश में आलू उत्पादन का आंकड़ा 1.97 लाख मीट्रिक टन रहा है। 

आलू प्रदेश की अति महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है। वैज्ञानिकों के अनुसार प्रदेश की शीत समशीतोष्ण जलवायु अच्छी किस्म के बीज आदि की पैदावार के लिए अति उत्तम है। इसलिए इस पर विशेष रूप में शिमला, लाहुल-स्पीति में रहने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति काफी सीमा तक निर्भर करती है। प्रदेश का बीज आलू विभिन्न रोगों से मुक्त होने तथा अधिक पैदावार की क्षमता रखने के परिणामस्वरूप इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों में काफी अधिक है। 

आलू की फसल आम तौर पर खरीफ फसल है, परंतु जहां कहीं सिंचाई की सुविधा है, वहां इसे सर्दियों में भी पैदा किया जाता है। पूरे देश में बीज और आलू की पैदावार के लिए हिमाचल की देश में अलग पहचान है और देश के आधे से अधिक आलू का उत्पादन प्रदेश में हो रहा है।

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